बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान
प्रश्न- समाजीकरण से आप क्या समझती हैं? इसकी प्रक्रियाओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर -
समाजीकरण - समाजीकरण सीखने की ऐसी प्रक्रिया है जिससे व्यक्ति किसी समूह या समाज की सामाजिक तथा सांस्कृतिक विशेषताओं को जानता है, समझता है और ग्रहण करता है। फिर वह समाज का सक्रिय और सार्थक सदस्य बनता है।
समाजीकरण उस प्रक्रिया का नाम है जिसके द्वारा प्राणीशास्त्रीय प्राणी में सामाजिक गुण आ जाते हैं और वह एक सामाजिक प्राणी कहलाने लगता है और भी स्पष्ट अर्थ में व्यक्ति को सामाजिक प्राणी के रूप में विकसित करने की प्रक्रिया को ही समाजीकरण कहते हैं।
समाजीकरण की प्रक्रिया प्रो. जॉनसन ने समाजीकरण प्रक्रिया के चार स्तर बताये हैं-
(1) मौखिक अवस्था
(2) शैशव अवस्था
(3) तादात्मीकरण की अवस्था
(4) किशोरावस्था
इन सभी स्तरों में समाजीकरण की प्रक्रिया तीन उद्देश्यों को लेकर बच्चे को एक सामाजिक प्राणी बनाती है। इन चारों स्तरों के माध्यम से समाजीकरण की प्रक्रिया को निम्नांकित रूप से समझा जा सकता है -
समाज में जिस प्रक्रिया के अधीन बालक का समाजीकरण होता है उसे समाजीकरण की प्रक्रिया कहते हैं। जन्म से लेकर प्रौढ़ावस्था तक चलने वाली 'समाजीकरण की प्रक्रिया के दो रूप देखने को मिलते हैं -
(1) निषेधात्मक,
(2) असत्यात्मक
निषेधात्मक रूप का बालक के व्यक्तित्व पर घातक प्रभाव पड़ता है और असत्यात्मक रूप का बालक के व्यक्तित्व पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। आरम्भ में निषेधात्मक रूप की प्रधानता रहती है और जैसे-जैसे आयु में वृद्धि होने लगती है वैसे-वैसे असत्यात्मक रूप से प्रधानता होती जाती है। इन दोनों रूपों के अन्तर्गत आने वाली विभिन्न प्रक्रियाएँ निम्नलिखित हैं।
(1) लड़ाई झगड़ा - 2-6 वर्ष की आयु में ये प्रवृत्ति अधिक पायी जाती है। दो या तीन बच्चे मिलकर खेलते समय खिलौने को आदान-प्रदान करने यह भाव प्रदर्शित करते हैं किन्तु कभी-कभी विशेष परिस्थितियों में खिलौनों के आदान-प्रदान में झगड़ा हो जाता है और वे मारपीट, गाली देने में वस्तुओं को यहाँ वहाँ फेंकने आदि का व्यवहार का प्रदर्शन करते हैं और वह सदैव के लिए मैत्री समाप्त करने के लिए कहते हैं किन्तु ये देखने को मिलता है कि वे दूसरे क्षण पुनः मित्र बनकर खेलने लगते हैं। आयु में वृद्धि के साथ बच्चों की लड़ाई झगड़ों में कमी आती है। अनेक अध्ययनों से पता चलता है कि बालिकाओं की अपेक्षा बालक लडाई-झगडे में अधिक शक्ति का प्रयोग करते हैं किन्तु बालिकाएँ भाषा और तर्क के माध्यम से लड़ाई का प्रदर्शन करती हैं।
(2) विरोपण और आरवेदन (Teasing and Bullying) - ये दोनों क्रियाएँ झगड़े से ही सम्बन्धित होती हैं और इस प्रकार के आक्रामकता की परिचायक हैं। विरोपण द्वारा बालक-बालिका और बड़े बालक निर्बल तथा छोटा बालक में क्रोध उत्पन्न करने का प्रयास करते . हैं इसके लिए वे उन्हें विभिन्न प्रकार के अपशब्द कहते हैं, जैसे बौना, लंगड़ा, भौंदू आदि। आवेदन द्वारा बड़े और बलिष्ठ बालक छोटे और निर्बल बालकों को शारीरिक कष्ट पहुँचाने का प्रयास करते हैं जैसे- शरीर में कांटा चुभाने, सिर की टोपी उतारने, चलते समय गिरा देना, कपड़ा खींचना आदि। ये क्रियाएँ असंतुलित बालकों में अधिक पायी जाती हैं।
(3) प्रतियोगिता - वस्तुतः प्रतियोगिता की भावना के बालक की आत्म सम्मान की भावना ही कार्य करती है। सर्वप्रथम बालक माता-पिता का स्नेह प्राप्त करने के लिए अपने अन्य भाइयों से ईर्ष्या करने के रूप में प्रतियोगिता की भावना सीखता है। कभी-कभी बालक सोचता है कि उसके खिलौनों की अपेक्षा अन्य बालकों के पास अच्छे और सुन्दर खिलौने हैं। इसी प्रकार अन्य वस्तुओं के कारण ईर्ष्या उत्पन्न होती है। वह ईर्ष्या की भावना उसे अन्य बालकों से प्रतियोगिता करने के लिए प्रेरित करती है। कभी-कभी यह भावना उसमें कई प्रकार की आक्रामक प्रतिक्रियाओं को जन्म देती है। बालक में तीन वर्ष में प्रतियोगिता की भावना का विकास होता है। प्रतियोगिता न केवल अन्य बालकों से सम्बन्ध स्थापित करने के लिए प्रेरित करता है बल्कि अनेक सामाजिक गुणों के अर्जित करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
(4) मित्रता - दो-तीन की अवस्था में बालकों में मित्रता का भाव विकसित होने लगता है किन्तु यह मित्रता क्षणिक होती है। ऐसा देखा जाता है कि इस अवस्था में 2-3 बालक एक स्थान पर बैठकर खिलौने से खेलते हैं और थोड़ी-थोड़ी देर में थोड़ी सी बात पर वे एक-दूसरे को मारने और झपटने लगते हैं किन्तु दूसरे क्षण में पुनः मित्रता स्थापित हो जाती है। जैसे-जैसे बालक की आयु में वृद्धि होती जाती है वैसे-कैसे उनकी मित्रता का क्षेत्र व्यापक होता जाता है किन्तु घनिष्ठ मित्र कुछ ही बालकों को बना पाते हैं। अधिकांश बालक समान आयु एक ही कक्षा समान सामाजिक परिवार, समान बुद्धि, पूर्व परिचय के आधार पर मित्र बनाते हैं।
(5) सहयोग - बालकों में सहयोग की भावना का विकास शीघ्रतापूर्वक किया जा सकता है। यदि बालकों को थोड़ी सी सराहना दी जाय तो वे अपनी सामर्थ्य के अनुसार सभी कार्यों में सहायता प्रदान कर सकते हैं। फिर भी देखा जाता है कि कई कारणों से बालकों में असहयोग की प्रवृत्ति का विकास हो जाता है इसके निम्नलिखित कारण हैं-
1. बालक की रुचि के अनुकूल कार्य का न होना।
2. बालक का ध्यान किसी अन्य कार्य में लगा होना।
3. अन्य साथियों का कार्य में सहयोग प्राप्त न होना।
4. कार्य करने के निर्देशों को न समझ सकना।
5. निर्धारित कार्य करने का तरीका न जानना।
6. मस्तिष्क और शरीर का थका होना।
7. बालक की क्षमता के अनुकूल कार्य न होना।
अतः माता-पिता, अभिभावकों और शिक्षकों को चाहिए कि वे बालकों में सहयोग की भावना को विकसित करने के लिए उन बातों से बचें जो बालक में असहयोग की प्रवृत्ति उत्पन्न करती है।
(6) आत्म-सम्मान - बच्चों में आत्म सम्मान की भावना बहुत प्रबल रूप में देखी जाती है। यदि हम उनकी क्रियाओं और खेलों का अवलोकन करें तो हमें पता लगेगा कि वे अपनी बुद्धि. शक्ति और योग्यता की तुलना दूसरों से करना चाहते हैं। यदि बालक को कोई भला-बुरा कहता है तो उसे बहुत बुरा लगता है। उसे ऐसा अनुभव होता है मानो उसका सर्वस्व खो गया हो। उसके विपरीत यदि उसकी कोई प्रशंसा करता है तो उसे बहुत आनन्द और हर्ष का अनुभव होता है। इस प्रकार बालक के सामाजिक विकास में उसकी आत्म सम्मान या आत्म गौरव की भावना का महत्वपूर्ण स्थान होता है।
(7) नेतृत्व - तीन-चार वर्ष की आयु में ही बालकों में नेतृत्व और अनुसरण की योग्यता का विकास होता देखा गया है। आरम्भ में जो बालक अन्य बालकों की अपेक्षा बलिष्ठ होता है वही अपने समूह का नेता बन जाता है किन्तु इस अवस्था में नेतृत्व स्थायी नहीं होता है। आयु में जैसे-जैसे वृद्धि होती जाती है वैसे-वैसे नेतृत्व के क्षेत्र का विस्तार और नेत्ता के गुणों में परिवर्तन होता जाता है।
प्रायः देखा जाता है जो बालक खेलने में सबसे चतुर होता है वह सबसे अच्छा नेता होता है। जो बालक बहिर्मुखी प्रवृत्ति का हो और जिसमें कल्पना दूरदर्शिता आदि का गुण हो वह अच्छा नेता बनता है।
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- प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
- प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
- प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
- प्रश्न- "आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
- प्रश्न- सन्तुलित आहार क्या है? सन्तुलित आहार आयोजित करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
- प्रश्न- आहार द्वारा कुपोषण की दशा में प्रबन्ध कैसे करेंगी?
- प्रश्न- वृद्धावस्था में आहार को अति संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- आहार में मेवों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझती हैं? इसके उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- वर्जित आहार पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था में पोषण पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- शिशु के लिए स्तनपान का क्या महत्व है?
- प्रश्न- शिशु के सम्पूरक आहार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- किन परिस्थितियों में माँ को अपना दूध बच्चे को नहीं पिलाना चाहिए?
- प्रश्न- फार्मूला फीडिंग आयोजन पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- 1-5 वर्ष के बालकों के शारीरिक विकास का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 6 से 12 वर्ष के बालकों की शारीरिक विशेषताओं का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
- प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
- प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये।
- प्रश्न- एक सुपोषित बच्चे के लक्षण बताइए।
- प्रश्न- वयस्क व्यक्तियों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था की प्रमुख पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ कौन-कौन-सी हैं?
- प्रश्न- एक वृद्ध के लिए आहार योजना बनाते समय आप किन बातों को ध्यान में रखेंगी?
- प्रश्न- वृद्धों के लिए कौन से आहार सम्बन्धी परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है? वृद्धावस्था के लिए एक सन्तुलित आहार तालिका बनाइए।
- प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
- प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
- प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिए एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन किन बातों का ध्यान रखेंगी?
- प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था क्या है? इसकी विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था का क्या अर्थ है? मध्यावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शारीरिक विकास का क्या तात्पर्य है? शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले करकों को समझाइये।
- प्रश्न- क्रियात्मक विकास का क्या अर्थ है? क्रियात्मक विकास को परिभाषित कीजिए एवं मध्य बाल्यावस्था में होने वाले क्रियात्मक विकास को समझाइये।
- प्रश्न- क्रियात्मक कौशलों के विकास का वर्णन करते हुए शारीरिक कौशलों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक विकास के लिए किन मानदण्डों की आवश्यकता होती है? सामाजिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजीकरण को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- बालक के सामाजिक विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजीकरण से आप क्या समझती हैं? इसकी प्रक्रियाओं की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास से क्या तात्पर्य है? इनकी विशेषताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर बाल्यावस्था में सामाजिक विकास का क्या तात्पर्य है? उत्तर बाल्यावस्था की सामाजिक विकास की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संवेग का क्या अर्थ है? उत्तर बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संवेगात्मक विकास की विशेषताएँ लिखिए एवं बालकों के संवेगों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- बालकों के संवेग कितने प्रकार के होते हैं? बालक तथा प्रौढों के संवेगों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बच्चों के भय के क्या कारण हैं? भय के निवारण एवं नियन्त्रण के उपाय लिखिए।
- प्रश्न- संज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए। संज्ञान के तत्व एवं संज्ञान की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से क्या तात्पर्य है? इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझते हैं? वाणी एवं भाषा का क्या सम्बन्ध है? मानव जीवन के लिए भाषा का क्या महत्व है?
- प्रश्न- भाषा- विकास की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा-विकास से आप क्या समझती? भाषा-विकास पर प्रभाव डालने वाले कारक लिखिए।
- प्रश्न- बच्चों में पाये जाने वाले भाषा सम्बन्धी दोष तथा उन्हें दूर करने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? भाषा के मापदण्ड की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? बालक के भाषा विकास के प्रमुख स्तरों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भाषा के दोष के प्रकारों, कारणों एवं दूर करने के उपाय लिखिए।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था में भाषा विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक बुद्धि का आशय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'सामाजीकरण की प्राथमिक प्रक्रियाएँ' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बच्चों में भय पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- बाह्य शारीरिक परिवर्तन, संवेगात्मक अवस्थाओं को समझाइए।
- प्रश्न- संवेगात्मक अवस्था में होने वाले परिवर्तन क्या हैं?
- प्रश्न- संवेगों को नियन्त्रित करने की विधियाँ बताइए।
- प्रश्न- क्रोध एवं ईर्ष्या में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- बालकों में धनात्मक तथा ऋणात्मक संवेग पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के अधिगम विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के मनोभाषिक सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बालक के हकलाने के कारणों को बताएँ।
- प्रश्न- भाषा विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा दोष पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- वयः सन्धि का क्या अर्थ है? वयः सन्धि अवस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - (a) वयःसन्धि में लड़के लड़कियों में यौन सम्बन्धी परिपक्वता (b) वयःसन्धि में लैंगिक क्रिया-कलाप (e) वयःसन्धि में नशीले पदार्थों का उपयोग एवं दुरूपयोग (d) वय: सन्धि में आहार सम्बन्धी आवश्यकताएँ।
- प्रश्न- यौन संचारित रोग किसे कहते हैं? भारत के प्रमुख यौन संचारित रोग कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एच. आई. वी. वायरस क्या है? इससे होने वाला रोग, कारण, लक्षण एवं बचाव बताइये।
- प्रश्न- ड्रग और एल्कोहल एब्यूज डिसआर्डर क्या है? विस्तार से समझाइये।
- प्रश्न- किशोर गर्भावस्था क्या है? किशोर गर्भावस्था के कारण, लक्षण, किशोर गर्भावस्था से बचने के उपाय बताइये।
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- प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था की विशेषताओं को विस्तार से समझाइये।
- प्रश्न- किशोरावस्था में यौन शिक्षा पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
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- प्रश्न- किशोरावस्था को तनाव या तूफान की अवस्था क्यों कहा गया है?
- प्रश्न- प्रारम्भिक वयस्कावस्था में 'आत्म प्रेम' (Auto Emoticism ) को स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- किशोरावस्था के बौद्धिक विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?
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- प्रश्न- वृद्धावस्था में समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों को विस्तार से समझाइए।
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